संस्कृत में रोजगार के क्षेत्र-

संस्कृत में रोजगार के क्षेत्र-

संस्कृत भाषा एवं विषय के अध्ययन के पश्चात् युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध हैं, संस्कृत भाषा के अध्ययन के पश्चात् प्राप्त होने वाले रोजगार के अवसरों की यहाँ पर चर्चा की जा रही है. ये अवसर सरकारी,  निजी और सामाजिक सभी क्षेत्रों में मौजूद हैं-
सरकारी क्षेत्र –
  1. प्रशासनिक सेवा - केन्द्रीय स्तर पर संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य स्तर पर राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा इसके लिए प्रतिवर्ष रिक्तियां निकाली जाती हैं. जो युवा संस्कृत से स्नातक हैं, वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं.
  2. प्राथमिक अध्यापक – प्राथमिक स्तर पर अध्यापन के लिए देश भर में शिक्षकों की आवश्यकता रहती है, किसी राज्य में बारहवीं कक्षा तो कहीं स्नातक कक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी  शिक्षक-प्रशिक्षण के पात्र होते हैं. जिन छात्रों ने संस्कृत विषय के साथ विशारद या शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की है, वे भी इस प्रशिक्षण के लिए पात्र होते हैं.
  3. प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक (टी.जी.टी) – देश भर में माध्यमिक विद्यालयों में कहीं अनिवार्य और कहीं ऐच्छिक विषय के रूप में संस्कृत विषय का अध्यापन किया जाता है, जिसमें पढ़ाने वाले प्रशिक्षित अध्यापकों का चयन राज्य भर्ती बोर्ड अथवा केन्द्रय विद्यालय संगठन सी.बी.एस.सी. के माध्यम से होता है। संस्कृत से स्नातक परीक्षा (शास्त्री, बी.ए.) उत्तीर्ण और अध्यापन में प्रशिक्षण (बी.एड.) प्राप्त अभ्यर्थी इसके लिए पात्र होते हैं। के.व. सं www.kvsangathan.nic.inwww.himachal.nic.in/hpsssb www.dsssbonline.nin.in तथा समस्त राज्यों के शिक्षा विभाग समय समय पर इसकी सूचना प्रकाशित करते रहते हैं।
  4. प्रवक्ता अथावा पी.जी.टी– देश भर में उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ऐच्छिक विषय के रूप में संस्कृत का अध्यापन किया जाता है, जिसमें अध्यापन करने वाले प्रवक्ताओं का चयन केंद्र एवं राज्य भर्ती बोर्ड के माध्यम से होता है. संस्कृत विषय से परास्नातक(एम.ए.) परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी इसके लिए पात्र होते हैं।
  5. सहायक व्याख्याता– देश भर के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों एवं राज्य विश्वविद्यालयों में संस्कृत का अध्यापन किया जाता है, जिसमें अध्यापन करने वाले सहायक व्याख्याताओं का चयन विश्वविद्यालय अथवा राज्य भर्ती बोर्ड के माध्यम से होता है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा(NET/SLET) तथाकनिष्ठ शोध अध्येतावृत्ति परीक्षा(JRF) उत्तीर्ण छात्र इसमें चयन के लिए पात्र होते हैं। 25 तथा 73 दो कोड संस्कृत विषय हेतु नेट परीक्षा का आयोजन करते हैं। https://cbsenet.nic.in
  6. अनुसन्धान सहायक - संस्कृत में शोध कार्य करने वाले विद्यार्थियों की सहायता के लिए सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र के शोध-संस्थान अपने यहाँ अनुसन्धान सहायकों की नियुक्ति करते हैं. इस पद के लिए अनिवार्य योग्यता संस्कृत विषय में परास्नातक अथवा विद्यावारिधि (Ph.D.) है। ये नियुक्तियाँ कहीं-कहीं पर वेतनमान और कहीं पर निश्चित मानदेय पर की जाती हैं.
  7. सेना में धर्मगुरु– भारतीय सेना में अधिकारी स्तर(JCO) का धर्मगुरु का पद होता है। जिन छात्रों ने संस्कृत विषय के साथ स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की है तथा निर्धारित शारीरिक मानदण्ड को पूरा करते हैं, वे इस परीक्षा में बैठने के लिए पात्र होते हैं। सेना के भर्ती बोर्ड द्वारा समय समय-समय पर इस पद हेतु रिक्तियां निकाली जाती हैं. www.joinindianarmy.nic.in
  8. अनुवादक- सरकारी प्रतिष्ठान और सामाजिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों में अनुवादक का पद होता है, विभिन्न भाषाओं में आये पत्रों तथा अन्य साहित्य के अनुवाद कार्य के लिए इस पद पर नियुक्ति की जाती है. स्नातक स्तर पर संस्कृत का अध्ययन तथा अनुवाद में डिप्लोमा प्राप्त करने वाले छात्र इसमें आवेदन करने के लिए अर्ह होते हैं. इस पद के लिए माध्यमिक विद्यालयों के अध्यापकों के बराबर ही वेतनमान निर्धारित होता है.
  9. योग शिक्षक– आज दुनियाँ भर में जिस प्रकार स्वास्थ्य और योग के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, उससे योग प्रशिक्षकों की मांग भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। संस्कृत के जिन स्नातकों ने गुरुकुल में योग का अभ्यास किया है और योगशिक्षा में कोई उपाधि प्राप्त की है, वे इस क्षेत्र में आसानी से रोजगार पा सकते हैं. सरकारी विद्यालयों एवं गैर सरकारी उपक्रमों में योग प्रशिक्षितों के लिए पर्याप्त मात्रा में रिक्तियां निकलती रहती हैं. आजकल बहुराष्ट्रीय संस्थाएं भी योग प्रशिक्षकों की सेवाएँ लेने लगीं हैं।
  10. पत्रकार– पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है. भारत में यह फलता-फूलता उद्योग है, जो युवाओं के लिए न केवल रोजगार के अवसर उपलब्ध करता है, अपितु चुनौतीपूर्ण कार्यों के माध्यम से यश और प्रतिष्ठा भी प्रदान करता है। जिन छात्रों ने संस्कृत में स्नातक उपाधि प्राप्त की है तथा पत्रकारिता में प्रशिक्षण लिया है वे इस क्षेत्र में कार्य के लिए पात्र होते हैं। भाषा पर मजबूत पकड़ के कारण संस्कृत के छात्रों को अन्य प्रतियोगियों की अपेक्षा वरीयता प्राप्त होती है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में कार्य के अनेक अवसरों के साथ वेतन व सुविधाओं की यहाँ कोई सीमा नहीं होती है.डीडी न्यूज चैनल पर प्रतिदित संस्कृत वार्ता (समाचार) तथा विशेष कार्यक्रम वार्तावली का प्रसारण किया जाता है।

  1. सम्पादक– किसी पुस्तक, पत्र–पत्रिका के प्रकाशन में सम्पादक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। संस्कृत के साथ ही हिन्दीभाषी क्षेत्र में पत्र-पत्रिका या पुस्तकों के प्रकाशन संस्थानों में सम्पादक का कार्य करने के लिए संस्कृत के अध्येताओं को वरीयता दी जाती है. इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र में अवसर हैं, जहाँ वेतन और प्रतिष्ठा की लिए असीम संभावनाएं हैं। इलेक्ट्रोनिक मीडिया के आ जाने के बाद यह क्षेत्र बहुत ही आकर्षक और चुनौतीपूर्ण हो गया है.
  2. लिपिक– सरकारी क्षेत्र (कर्मचारी चयन आयोग एवं रेलवे आदि) में लिपिक संवर्ग में नियुक्ति के लिए बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है. संस्कृत के वे छात्र जिन्होंने बारहवीं या विशारद परीक्षा उत्तीर्ण की है, वे इस नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं. पूरे वर्ष किसी न किसी विभाग में इस पद पर भर्ती के लिए रिक्तियां आती रहती हैं।  
निजी एवं सामाजिक क्षेत्र –
  1. लेखक– जिन छात्रों की साहित्य विमर्श एवं सृजन में अभिरुचि है, वे संस्कृत साहित्य से प्रेरणा लेकर लेखन कार्य कर सकते है. आजकल लेखन का क्षेत्र बहुत व्यापक है, जिसमें प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया, विज्ञापन, रेडियो, टेलीविज़न आदि के लिए लेखन भी आता है.
  2. ज्योतिषी – ज्योतिषी के रुप में भी अपना कार्यालय खोलकर जीविकोपार्जन किया जा सकता है। अथवा किसी संस्था के साथ भी जुडा जा सकता है। www.futurepointindia.com
  3. वास्तु सलाहकार- वास्तु सलाहकार के रूप में रोजगार का एक नया विकल्प उपलब्ध है. संस्कृत के स्नातक वास्तुविज्ञान में दक्ष होकर रोजगार का अवसर सृजित कर सकते हैं. वास्तुशास्त्र में कोर्स सरकारी विश्विद्यालयों से भी किया जा सकता है। यथा- www.Slbsrsv.ac.in
  4. पुरोहित– भारत जैसे देश में जन्म से लेकर मृत्यु तक होने वाले सोलह संस्कारों एवं अन्य उपासना अनुष्ठानों में पुरोहित की आवश्यकता पड़ती है. इसके विशेषज्ञ पुरोहित वर्ग के लिए रोजगार का यह एक अच्छा विकल्प है. इस क्षेत्र में भी आय अध्येता के ज्ञान और कौशल पर आश्रित है.
  5. प्रवाचक - भारतीय दर्शन और लोक जीवन की बेहतर समझ रखने वाले संस्कृत के अध्येता इस क्षेत्र में आकर सामाजिक कल्याण के साथ आजीविका के लिए श्रेष्ठ अवसर पा सकते हैं. इस क्षेत्र में यश और प्रतिष्ठा के साथ जीवनवृत्ति की अपार सम्भावनाएं हैं.
  6. दार्शनिक – दर्शन व्यक्ति से लेकर समाज और राष्ट्र तक की दिशा तय करता है. समाज में कुछ ऐसे प्रश्नों पर विमर्श करने, जिनके समाधान आम सामाजिक व्यवस्था और तन्त्र के पास नहीं होते हैं अथवा बदलते सामाजिक और वैश्विक परिदृश्य में परम्परागत मूल्यों के साथ नवीन जीवन दृष्टि का तालमेल बिठाने में दार्शनिकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. इसलिए समाज में इन्हें सर्वाधिक प्रतिष्ठा प्राप्त है. इनके लेखों और व्याख्यानों से प्राप्त होने वाली आय उच्चस्तरीय जीवनयापन के लिए पर्याप्त होती है. इसके अतिरिक्त ऐसे अध्येताओं को औपचारिक रूप से कुछ संस्थानों में सेवा करने के अवसर भी प्राप्त होते हैं.
  7. समाजसुधारक - सामाजिक समरसता की स्थापना और समाज को जोड़ने में समाज सेवकों की बड़ी भूमिका होती है. छोटे-बड़े आयोजन हों या आपदागरीबों की शिक्षादीक्षास्वास्थ्य हो या अन्य ऐसे कार्य जिस ओर सुविधा सम्पन्न वर्ग का ध्यान नहीं जाता हैउस ओर समाज सुधारक कार्य करते हैं. समकालीन अव्यवस्थाओं और बुराइयों से समाज को बचाकर रखनासत्ता और धर्मं की स्थापनाओं को समाज के निचले तबके तक पहुँचाने का कठिन कार्य भी इन्हीं समाज सुधारकों का है. समाज में ऐसे लोगों की बड़ी प्रतिष्ठा है. कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं ऐसे लोगों के कार्य की सराहना करतीं हैं और बड़े-बड़े पुरस्कारों से उनका सम्मान करती हैं. ऐसे लोगों की जीवनवृत्ति सञ्चालन का दायित्व समाज अथवा स्वयंसेवी संस्थाएं स्वयं अपने ऊपर ले लेती हैं.
  8. नेता - छोटी से छोटी लोकतान्त्रिक इकाई से लेकर प्रदेश और राष्ट्र में नेतृत्व और व्यवस्था बनाने का गुरुतर दायित्व नेता के कन्धों पर होता है. नेता समाज या राष्ट्र को जिस दिशा की ओर ले जाना चाहता हैजनता उसी की ओर उन्मुख होकर चलने को तैयार हो जाती है. इसलिए किसी भी राष्ट्र में नेतृत्व का शिक्षित और संस्कारी होना अत्यावश्यक है. भारत जैसे बहुल जनसँख्या प्रधान और विशाल देश में केवल राजनीति में ही नहीं अपितु प्रत्येक क्षेत्र में कुशल नेतृत्व की आवश्यकता है. संस्कृत के अध्येताओं से ये अपेक्षा रहती है की वे जिस क्षेत्र में जायेंगे वहाँ पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करेंगेइसलिए उनके लिए यह क्षेत्र भी खुला हुआ है. इस क्षेत्र में पदप्रतिष्ठाचुनौतियाँअवसर और कार्यक्षेत्र की कोई सीमा नहीं हैं.
  9. अन्वेषक  पूरे संसार में इतिहास आदि के ज्ञान का सबसे बड़ा स्रोत संस्कृत साहित्य है. वेदपुराणरामायण और महाभारत से लेकर संस्कृत के ललित साहित्य में तत्कालीन समाज एवं व्यवस्था का चित्रण है. इतिहासभूगोलशासन व्यवस्थाव्यापारकृषिजलवायुनदियाँबादलअधिवासग्रह-नक्षत्र सबके बारे में संस्कृत के विशाल साहित्य में चर्चा मिलती है. इन तत्वों के बारे में विमर्श करना तथा समय की आवश्यकता के अनुसार इनका विश्लेषण करना अन्वेषकों का कार्यक्षेत्र है. नासा जैसी संस्थाएं इस पर महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहीं है. भारत में भी ऐसे विद्वानों की आवश्कता हैजो तथ्यों को जुटाकर उनकी प्रामाणिकता पर कार्य करें.
  10. उद्योगपति - भारत जैसे विशाल जनसँख्या वाले देश में कल कारखाने लगाना बहुत ही लाभ देने वाला रोजगार मन जाता है. संस्कृत का अध्येता उद्योग लगाकर कितना प्रगति कर सकता हैइसका अनुमान पतंजलि प्रतिष्ठान जैसे उपक्रमों से लगाया जा सकता है. खान-पानस्वास्थ्यसौन्दर्य प्रसाधन पूजा सामग्री आदि ऐसे अनेक क्षेत्र हैजिसमें संस्कृत का ज्ञान सहायता करता है. भावनात्मक रूप से भी लोग इस क्षेत्र में आदर प्राप्त विद्वानों के उत्पाद प्रयोग करने में आगे देखे जाते हैं. इसके अतिरिक्त ऐसा कोई उद्योग-व्यापार नहीं हैजहाँ संस्कृत अध्येता के लिए अवसर न हो.
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